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महिलाएं पितृसत्तात्मक मानसिकता के अधीन जो उन्हें मानती गृहिणी : कोर्ट

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  नई दिल्ली:  उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि महिलाएं पितृसत्तात्मक मानसिकता के अधीन हैं, जो उन्हें प्राथमिक देखभाल करने वाली और गृहिणी के रूप में मानती है और इस तरह उन पर पारिवारिक जिम्मेदारियों का एक असमान दायित्व है. शीर्ष अदालत ने कहा कि महिलाओं के कार्यस्थल पर पहुंचने के बाद उनके साथ भेदभाव के लगातार पैटर्न को पहचानने में राज्य द्वारा वास्तविक समानता प्राप्त करने का सही उद्देश्य पूरा किया जाना चाहिए. न्यायालय ने उल्लेख किया कि पति-पत्नी की पोस्टिंग के लिए जो प्रावधान किया गया है, वह मूल रूप से महिलाओं के लिए विशेष प्रावधानों को अपनाने की आवश्यकता पर आधारित है, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 15 (3) द्वारा मान्यता प्राप्त है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, ‘‘जिस तरह से राज्य द्वारा एक विशेष प्रावधान को अपनाया जाना चाहिए वह एक नीति विकल्प है, जिसका इस्तेमाल संवैधानिक मूल्यों और प्रशासन की जरूरतों को संतुलित करके किया जाना चाहिये.'' पीठ ने कहा, ‘‘लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता है कि राज्य को संवैधानिक मानदंडों के अधीन एक आदर्श निय