शिमला-कालका रेललाइन के विद्युतीकरण को लेकर कवाय शुरू हुई, दिल्ली की संस्था को सौंपा HIA का जिम्मा

 


शिमला:विश्व धरोहर शिमला-कालका रेललाइन के विद्युतीकरण को लेकर कवायद शुरू हो गई है। 120 वर्ष पुरानी विश्व धरोहर रेललाइन के विद्युतीकरण की योजना को हैरिटेज इम्पैक्ट असैसमैंट (एचआईए) द्वारा सिरे चढ़ाया जाएगा, जिसके लिए रेलवे प्रबंधन ने स्वतंत्र सलाहकार को कार्य सौंपा है। अंबाला रेलवे मंडल ने नई दिल्ली स्थित संस्था सेविंग ट्रैडीशनल आर्ट्स, मैटेरियल्स एंड बिल्ट हैरिटेज (एसटीएएमबीएच) को इस रेललाइन के लिए एचआईए परियोजना सौंपी गई है। यह संस्था विद्युतीकरण के प्रमुख प्रभावों का आकलन करेगी और इसमें आधारभूत स्थितियों का विवरण शामिल होगा, जिसमें विद्युतीकरण के संभावित प्रभावों पर विचार किया जाएगा। 

यूनेस्को की अनुमति के बाद शुरू होगा विद्युतीकरण का कार्य

कालका-शिमला रेललाइन के साइट सर्वेक्षण के आधार पर साइट और उसके परिवेश पर मौजूद स्थितियों का सारांश भी एचआईए में किया जाएगा। उक्त संस्था पूरी स्थिति का आकलन कर अपनी रिपोर्ट रेलवे प्रबंधन को सौंपेगी। इस रिपोर्ट के आने के बाद तमाम बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए रेलवे प्रबंधन इस योजना पर आगे बढ़ेगा। यहां बता दें कि यूनेस्को से इस शिमला-कालका रेललाइन को जुलाई 2008 में विश्व धरोहर का दर्जा मिला था। यूनेस्को से अनुमति मिलने पर रेललाइन का विद्युतीकरण करने का कार्य शुरू हो सकेगा।   

कालका-शिमला रेललाइन की विशेषताएं व इतिहास

कालका-शिमला रेलवे 96.6 किलोमीटर लंबा, सिंगल नैरो गेज ट्रैक (0.762 मीटर गेज) रेल ङ्क्षलक है। 1891 में दिल्ली रेललाइन के कालका पहुंचने के ठीक 12 साल बाद नवम्बर 1903 में लाइन को शुरू किया गया था। दुनिया का सबसे ऊंचा मल्टी आर्क गैलरी ब्रिज और दुनिया की सबसे लंबी सुरंग (निर्माण के समय) इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं। रेललाइन में डीजल से चलने वाले इंजन और रेल मोटर कारों द्वारा नियमित सेवा प्रदान की जाती है। रेललाइन में 21 स्टेशन हैं, जिनमें कालका, टकसाल, गुम्मन, कोटि, जाबली, सनवारा, धर्मपुर, कुमारहट्टी, बड़ोग, सोलन, सोलन ब्रेवरी, सलोगड़ा, कंडाघाट, कानोह, कथलीघाट, शोगी, तारादेवी, जुतोग, समर हिल व शिमला शामिल हैं।

रेलाइन का विद्युतीकरण इसलिए है चुनौतीपूर्ण

शिमला-कालका रेललाइन का विद्युतीकरण इसलिए चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि रेललाइन के आसपास बंदरों की संख्या काफी अधिक है, जो लाइन को विद्युतीकृत करने के लिए पोल को नुक्सान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा रेलवे ट्रैक पर सुरंगों में पानी का रिसाव होता रहता है। ऐसे में यहां विद्युतीकरण करने पर दिक्कतें हो सकती हैं। इसके अलावा विश्व धरोहर का दर्जा होने के कारण इस रेलवे ट्रैक के स्वरूप को बदलने के लिए यूनेस्को से अनुमति मिलने की संभावना कम है। बहरहाल, देखना होगा कि सर्वे रिपोर्ट आने के बाद इस परियोजना को कैसे सिरे चढ़ाया जाता है।

Source link - Work on electrification of Shimla-Kalka rail line started (arthparkash.com)

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