The Desire of A minor Does Not Matter in Having

 

Important decision of Allahabad High Court  देश में नाबालिग लड़कियों या लड़कों की शादी को कानूनन अपराध माना जाता है। लड़कियों की इच्छा के खिलाफ बाल विवाह करा दिया जाता है। जबरन शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं। कम उम्र में लड़कियां मां बनती हैं और ऐसी लड़कियों का जीवन कम हो जाता है। इस प्रकार के मामलों में इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला एक बड़ी लकीर की तरह आया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि नाबालिग लड़कियों के साथ शादी के बाद शारीरिक संबंध बनाए जाने के मामले में कोर्ट ने साफ कहा कि उनकी सहमति कोई मायने नहीं रखती है।

 इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि नाबालिग की सहमति से बनाया गया शारीरिक संबंध में उसकी सहमति का कोई महत्व नहीं है। कोर्ट ने कहा कि नाबालिग से शादी के बाद उसकी सहमति से बनाया गया शारीरिक संबंध भी रेप की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने इस आधार पर रेप के आरोपी को राहत देने से इनकार कर दिया। दरअसल, याचिका में आरोपी की ओर से दलील दी गई थी कि उसने नाबालिग से सहमति से शादी की। उसकी सहमति से ही उससे शारीरिक संबंध बनाए। जस्टिस सुधारानी ठाकुर की सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता की दलील को खारिज कर दिया। दलील को अस्वीकार करते हुए उन्होंने जमानत अर्जी खारिज कर दी।
 

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